रह-रह घबराता है अब मेरा जिया
चलो चलें गोदना गोदाएँ पिया।
हाथों में हाथ लिए मेले में साथ चलें
मै सब कुछ हार चुकी तुम सब कुछ जीत चुके
तुम्हीं कहो जादू ये कौन सा किया?
दाहिनी कलाई पर नाम मैं लिखाऊँगी
गाँव की गुजरिया हूँ भूल नही पाऊँगी
लुका छिपी में अबतक बहुत कुछ हुआ।
हँसते हो गाते हो सपने में आते हो
धान जब लगाते हो तुम बहुत सुहाते हो
आँखों में चाहत का रंग भर दिया।